Gyan Sagar
Right to Privacy in Fundamental Right of constitution of India
निजता का अधिकार की मुख्य बातें जान लेना जरूरी हैं
- मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस बेंच में 9 जज थे
- नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ में प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर, न्यायमूर्ति जे चेलामेर, न्यायमूर्ति एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति एएम सप्रे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर निजता के मामले की सुनवाई की
- पीठ ने कहा कि निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए अधिकारों का हिस्सा है
- पीठ के सभी नौ सदस्यों ने एक स्वर में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताया
निजता का अधिकार: सुनवाई का घटनाक्रम
- 07 जुलाई 2017: तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि आधार को लेकर उठ रहे मुद्दों पर अंतिम व्यवस्था बड़ी पीठ देगी और संविधान पीठ के गठन की जरूरत पर निर्णय भारत के प्रधान न्यायाधीश कर सकते हैं
- 07 जुलाई: मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष उठाया गया, सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन हुआ
- 18 जुलाई: पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित करने के संबंध में फैसले के लिए नौ न्यायाधीशों की पीठ के गठन का फैसला लिया
- 19 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि निजता का अधिकार पूर्ण नहीं हो सकता, नियमन किया जा सकता है
- 19 जुलाई: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है.
- 26 जुलाई: कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब और पुडुचेरी, गैर-भाजपा शासित चार राज्य निजता के अधिकार के पक्ष में न्यायालय पहुंचे
- 26 जुलाई: केंद्र ने न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार हो सकता है, लेकिन कुछ अपवादों-शर्तों के साथ
- 27 जुलाई: महाराष्ट्र सरकार ने न्यायालय से कहा कि निजता का अधिकार कोई इकलौती चीज नहीं है, यह व्यापक विचार है
- 01 अगस्त: न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक मंच पर व्यक्ति की निजी सूचनाओं की सुरक्षा के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश होने चाहिए
- 02 अगस्त: न्यायालय ने कहा कि प्रौद्योगिकी के दौर में निजता की सुरक्षा का सिद्धांत एक हारी हुई लड़ाई है, फैसला सुरक्षित रखा
- 24 अगस्त: न्यायालय ने निजता के अधिकार को भार�